दो दिन,
दो शहर।
बीस से ज़्यादा बम धमाके,
कितने घायल हुए? गिनती नहीं।
कितने मरे? मालूम नहीं।
हाँ ये ज़रूर मालूम है,
की मरने वालों की तादाद,
अख़बारों में लिखी संख्याओं से कहीं ज़्यादा है।
बम लगाने वाले, उनसे मरने वालों से पहले मरे।
ग़म है मुझे उन लाशों के पैदा होने का जो बेगुनाह थे,
और नफरत है उन लाशों से,
जो कफ़न के बाहर जिंदा घूम रही हैं ऐसे हालात पैदा करने के लिए।
"Long legged Italy, kicked poor Sicily In the middle of Mediterranean Sea. Austria was Hungary Took a bit of Turkey Fried it in Japan Dipped it in Greece...." I remember only this much. This poem was my first attempt at learning the names of these countries and locating them on the map of the world. And I thought Austria and Australia were same. :-) It's time to confirm that I was wrong at that point of time, some twenty years back...
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